महिला विरोधी पितृसत्तात्मक मूल्यों पर प्रतिघात करना अत्यंत आवश्यक है वरना संस्थाएं ही नहीं, हर व्यक्ति नैतिक पुलिस बनकर औरतों के जीवन में हजारों बंदिशें लगाएगा और हव्वा की बेटीयों की अस्मत पर घर की चारदीवारी से लेकर कंक्रीट के खुले जंगलों में यूं ही डाका पड़ता रहेगा।